बचपन में भविष्य का गर्भ छिपा होता है. आने वाले कल का दर्पण होता है बचपन | बचपन छोटा होता है किन्तु अमूल्य होता है |
बच्चों के बालपन को सहेजने का, उसे नित नए अनुभव देने का, प्रयोग के नए-नए अवसर देने का, अवलोकन करने, नए-नए शब्द सिखाने का, खेलने-कूदने का कार्य गीता परिवार संगमनेर द्वारा संचालित संस्कार बालभवन करता है |
संस्कार बालभवन में प्रतिदिन संध्याकाल 3 से 12 वर्ष के बच्चे आते हैं। इन बच्चों के बचपन को खेल-कूद, कहानी, गीत, कला-कामगिरी, आदि उपक्रमों के साथ समृद्ध किया जाता है। इसके अतिरिक्त बालभवन द्वारा शास्त्रीय नृत्य, संगीत आदि विषयों का प्रशिक्षण भी दिया जाता है।