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सूर्यनमस्कार

क्रीडा संस्कार
May 31, 2018
 

हमारी प्रेरणा भास्कर, है जिनका रथ सतत चलता.
युगों से कार्यरत है जो, सनातन है प्रबल उर्जा.

सूर्य जीवनदाता है. बिना सूर्य के इस जगत में जीव का कोई अस्तित्व नहीं. सूर्य अन्नदाता है. सूर्य-किरणों के अभाव में किसी सजीव की उत्पत्ति एवं विकास संभव नहीं. सूर्य ऊर्जा का स्त्रोत है. प्रकृति का संपूर्ण चक्र सूर्य पर अवलंबित है. सूर्य-दर्शन से मन प्रसन्न होता है एवं बुद्धि प्रतिभा संपन्न होती है. शरीर को तेज व ओज प्राप्त होता है. सूर्य के इन अनंत उपकारों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए भारत में सूर्य का पूजन किया जाता है.
भारतीय ऋषि-मुनियों द्वारा दी गयी एक महान देन है सूर्यनमस्कार आसन. तन और मन के स्वास्थ्य के लिए तपस्वी ऋषियों ने योग और उपासना का महत्व स्पष्ट किया था. सूर्यनमस्कार योगासन, प्राणायाम और उपासना का ऐसा अद्भुत संगम है जिसका विकास भारतीय ऋषि-मुनियों ने हजारों वर्षों पूर्व किया था. यह एक ऐसी उपासना पद्धति है जो मन को शक्ति प्रदान करती है एवं इसके योगासन शारीरिक स्वास्थ्य प्रदान करते हैं. इसमें प्रयुक्त श्वसन -क्रिया का निश्चित क्रम श्वास को तालबद्ध रूप से नियंत्रित करता है.
गीता परिवार सूर्यनमस्कार आसन का प्रशिक्षण अपने संस्कार शिविरों तथा वर्ष भर अनेक विद्यालयों में विद्यार्थियों को देता है। सवा करोड़ से लेकर 16 करोड़ तक सामूहिक सूर्यनमस्कार हजारों विद्यार्थियों द्वारा एक साथ किये गए। ऐसे उपक्रम विद्यालयों के सहयोग से संगमनेर, पुणे, हैदराबाद, जयसिंगपुर, नगर, धुलिया आदि शहरों में सम्पन्न हुए।

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