संगीत तो हमारी संस्कृति और परंपरा के रग-रग में और सांस्कृतिक भारत के कण-कण में भरा पड़ा है | माँ की लोरी की मधुर तान से लेकर मंदिर के घंटानाद तक और वेदों की श्रुतियों से लेकर पाञ्चजन्य के उद्घोष तक संगीत के भिन्न-भिन्न रूप हम देखते हैं | शिवजी के हाथ में डमरू, सरस्वती के हाथ में वीणा और कृष्ण के हाथ में बांसुरी संगीत का महिमामंडन करती है | गीता परिवार का प्रयास है कि संगीत की प्रतिभा वाले बच्चो को उत्तम शिक्षको से इसका विधिवत प्रशिक्षण प्राप्त हो. इसीलिये गीता परिवार गायन एवं वादन के नियमित वर्ग चलाता है. इस संगीत वर्ग मे गायन, हार्मोनियम, वायलिन, तबला का प्रशिक्षण दिया जाता है.