बालक ही राष्ट्र की सच्ची धरोहर हैं, अगर बाल्यावस्था से ही इन्हें सही आकार देने का प्रयास किया जाय तो बालकों का सम्पूर्ण जीवन सुन्दर बन सकता है | बाल्यावस्था में प्राप्त संस्कार बालक के सम्पूर्ण जीवन में मार्गदर्शक ठहरते हैं | हमें भी बचपन में सुनी कोई गीत या कहानी का आज भी स्मरण है और बाल्यावस्था की वह प्रेरणा ही हमें सत्कर्मों के साथ जोड़े हुए हैं | गत अनेक वर्षों से गीता परिवार के हजारों कार्यकर्ता बालकों में संस्कारों के बीजारोपण हेतु कठोर तप करते हुए ईश आराधना कर रहे हैं | संस्कारों के बीज घर-घर में रोपित हो इसलिए गीता परिवार के माध्यम से विभिन्न उपक्रम चलाये जा रहे हैं | इन्हीं उपक्रमों में एक और कड़ी जोड़ी गई जिसका नाम "बाल भागवत कथा" है | बाल भागवद, बाल रामायण आदि कथाओं का आयोजन बच्चों के लिए किया जाता है।