बालकों के साथ कार्य करते करते बच्चों के पालन–पोषण से संबंधित अनेक समस्याओं का अनुभव और जानकारियाँ गीता परिवार को मिलती हैं। बच्चों का सम्पूर्ण विकास तब तक संभव नहीं हैं जब तक माता–पिता इसके लिए जागरूक नहीं होंगो अत: बाल-मनोविज्ञान के आधार पर सरल व सहज भाषा में पालक प्रबोधन की अनेक कार्यशालाओं और व्याख्यानों की संकल्पना गीता परिवार द्वारा तैयार की गई | "दो शब्द माँ के लिए-दो शब्द पिता के लिए, घर एक आनंददायी शाला , मिले सुर मेरा तुम्हारा आदि का आयोजन देशभर में महानगरों से लेकर गाँव-गाँव तक किया जाता हें |