संस्कार महोत्सव याने एक ही समय अनेक स्थानों पर संस्कार केंद्रों का आयोजन. अंतिम दिन सभी केंद्रों के बालक एक स्थान पर एकत्रित होकर संस्कार-ऊर्जा के संगठित शक्ति का अनुभव करते हैं. इसके लिए सर्वप्रथम कार्यकर्ताओं का चयन तथा प्रशिक्षण होता है. अभ्यासक्रम की पुस्तिका का प्रकाशन होता है. एक ही अभ्यासक्रम सभी केंद्रों पर एक साथ चलाया जाता है.
संस्कार महोत्सव के आयोजन से पूरे शहर में एक चैतन्य फ़ैल जाता है. सैकड़ों बच्चे जब हर रोज अनुशासनपूर्वक अलग-अलग केन्द्रों पर जाते हुए दिखते हैं, शोभायात्रा में घोषणा देते हुए, गीता गाते हुए चलते हैं तो ये सभी के लिए कौतूहल का विषय बन जाता है. गीता परिवार के कार्य की जानकारी जन-जन तक पहुँचती है. अनेक नए लोग जुड़ते हैं. संस्कार महोत्सव के आयोजन से संस्कार कार्य शहर की सीमा को लाँघकर आस-पास के गाँवो तक भी पहुँचता है.